लेखनी कविता -छिड़ गये साज़े-इश्क़ के गाने - फ़िराक़ गोरखपुरी

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छिड़ गये साज़े-इश्क़ के गाने / फ़िराक़ गोरखपुरी छिड़ गये साज़े-इश्क़ के गाने खुल गये ज़िन्दगी के मयख़ाने आज तो कुफ्रे-इश्क़े चौंक उठा आज तो बोल उठे हैं दीवाने कुछ गराँ1 ...

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